हिन्दू - हिन्दू का जाप करने वाले और हिन्दू वोट बैंक पर अपना उत्तराधिकार जताने वाले हाकिम भी हिन्दुओं को लेकर गम्भीर नही हैं। खुद को तथाकथित तौर पर हिंदुत्व का प्रतीक मनवा रहे सूबे के बड़े नेता और उनके समर्थक शायद बीते दो वर्ष पूर्व हुई हिन्दूवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या और उनके परिवार की सुरक्षा के साथ किये गए वादों को भूलने में जरा सी भी कसर नही छोड़ी है। प्रखर हिंदूवादी नेता व हिन्दू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की हत्या के बाद सरकार द्वारा किये गए वादे जहां एक ओर ठंडे बस्ते में हैं , वहीं मृतक कमलेश तिवारी के ज्येष्ठ पुत्र को मिला सुरक्षा गार्ड भी सरकार द्वारा बीते वर्ष ही हटा लिया गया है। हत्याकांड केस की सुनवाई का वादा तो सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ व कानून मंत्री बृजेश पाठक ने लखनऊ के फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने का किया था किंतु केस को लखनऊ से 200 किमी दूर प्रयागराज की साधारण कोर्ट में स्थानांतरित कर सरकार की मंशा को कटघरे में खड़ा कर दिया गया है। जिससे मृतक कमलेश तिवारी के परिवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और सुरक्षा के लिहाज से भी खतरा बढ़ गया है। घटना के दो वर्ष बाद भी मुख्यमंत्री और कमिश्नर के लिखित व मौखिक वादे के मुताबिक मृतक के बेटे को सरकारी नौकरी अब तक नही मिल सकी है। मृतक कमलेश तिवारी के गृह जनपद सीतापुर में स्थित आवास से भी सुरक्षा घटा दी गई है , महमूदाबाद स्थित आवास पर प्रशासन द्वारा लगवाए गए सीसीटीवी कैमरे भी काम करना बंद कर चुके हैं।
क्या बोला मृतक कमलेश तिवारी का बेटा-
मीडिया के लोगों से बातचीत करते हुए मृतक कमलेश तिवारी के ज्येष्ठ पुत्र सत्यम तिवारी ने बताया कि उसके पिता की हत्या लखनऊ के खुर्शीद बाग इलाके में बने आवास पर 2019 में हुई थी , जिसमें हत्या के बाद सांत्वना देने महमूदाबाद आवास पहुंचे कानून मंत्री बृजेश पाठक ने हत्या में संलिप्त आरोपियों के खिलाफ लखनऊ के फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में केस चला कर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की बात कही थी लेकिन फ़ास्ट ट्रैक कौन कहे मामले को प्रयागराज के साधारण कोर्ट में स्थानन्तरित कर दिया गया। सत्यम ने बताया कि सरकार से मांग है कि मामले को वापस लखनऊ के फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में लाया जाए। सत्यम तिवारी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आश्वासन के बाद भी आज तक न तो उसको शस्त्र लाइसेंस मिला और न ही हाकिम द्वारा सरकारी नौकरी देने का वादा पूरा किया गया । सुरक्षा की दृष्टि से मिले गार्ड भी अब सत्यम से वापस ले लिए गए हैं।
जानें कमलेश तिवारी और उनकी हत्या से जुड़ी जानकारी-
18 अक्टूबर 2019 में कमलेश तिवारी की लखनऊ में हत्या कर दी गई थी। इस घटना के 2 वर्ष पूरे हो गए हैं। सोशल मीडिया पर हिन्दू संगठनों से जुड़े लोग उनको आज भी याद कर रहे हैं। मूल रूप से कमलेश तिवारी उत्तरप्रदेश के सीतापुर जिले में आने वाले महमूदाबाद के निवासी थे। उनका जन्म 16 जनवरी 1969 में हुआ था। कमलेश तिवारी एक हिन्दू नेता के तौर पर चर्चित थे। वो लम्बे समय तक हिन्दू महासभा के सदस्य रहे। कुछ समय बाद उन्होंने अपनी खुद की हिन्दू समाज पार्टी बना ली थी। हत्या के समय वो इसी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। वो लखनऊ के थाना नाका क्षेत्र में आने वाले खुर्शीदबाग़ कॉलोनी में रहते थे। यहीं उनकी हिन्दू समाज पार्टी का मुख्यालय भी था।
कमलेश तिवारी ने दिसम्बर 2014 में अपने पैतृक स्थान सीतापुर जिले में नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाने का एलान किया था। इस एलान के बाद काफी विवाद हुआ था और पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा था। उसी समय ऐसा ही मंदिर मेरठ में भी बनाने की बात कही गई थी। वर्ष 2015 में कमलेश तिवारी द्वारा की गई एक टिप्पणी के खिलाफ मुस्लिम समुदाय के तमाम लोग सड़कों पर उतर आए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि कमलेश तिवारी ने उनकी धार्मिक भावनाओं को चोट पहुँचाई थी। कमलेश तिवारी की टिप्पणी को मुस्लिम संगठनों ने अपने पैगम्बर का अपमान बताया था। कई जगहों पर जुलूस निकाल कर कमलेश तिवारी की फाँसी की माँग भी की गई थी। कमलेश तिवारी का सर काटने की धमकी दी गई थी और उनके सिर पर इनाम भी घोषित किया गया था।
इसी केस में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने कमलेश तिवारी को जेल भेजा था। कमलेश तिवारी पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (NSA) के तहत कार्रवाई की गई थी। बाद में कमलेश तिवारी जमानत पर बाहर आए थे। 18 अक्टूबर 2019, घटना के दिन रोज की तरह कमलेश तिवारी पार्टी मुख्यालय पहुँचे थे। इसी दौरान भगवा वस्त्र में दो साजिशकर्ता हाथ में मिठाई का डिब्बा लेकर नेता उनसे मिलने पहुँचे। बातचीत कर साथ में चाय पी और उसके बाद मिठाई के डिब्बे में छिपाकर लाए रिवॉल्वर व चाकू निकाल लिया। चाकू से ताबड़तोड़ 15 से ज्यादा वार उनके गले पर किए। इसके बाद वे गोली मारकर भाग निकले। कमलेश तिवारी को ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। हत्यारोपितों का कमलेश तिवारी से मिलने के लिए जाने का सीसीटीवी फुटेज भी वायरल हुआ था। एक अन्य सीसीटीवी फुटेज में हत्या के बाद दोनों आरोपितों के भागने का भी दावा दिया गया था। कमलेश तिवारी की हत्या की खबर फैलते ही पूरे उत्तर प्रदेश में तनाव फ़ैल गया था। जगह-जगह प्रदर्शन शुरू हो गए थे। आक्रोशित हिन्दू संगठनों ने कई जगहों पर धरना प्रदर्शन किया था। घटनास्थल पर तनाव के चलते आसपास की दुकानें बंद कर दी गई थीं। कमलेश तिवारी की हत्या के बाद पुलिस के बड़े अधिकारी घटनास्थल पर पहुँच गए थे। उन्होंने तत्काल मुकदमा दर्ज कर आरोपितों की तलाश शुरू कर दी थी। जाँच के दौरान पुलिस को इस हत्या में शेख अशफाक हुसैन और मोइनुद्दीन खुर्शीद पठान शामिल मिले। इन दोनों आरोपितों को गुजरात एटीएस ने अक्टूबर 2019 में गिरफ्तार किया था। ये दोनों आरोपित राजस्थान-गुजरात सीमा पर शामलाजी के पास से गिरफ्तार किए गए थे। उत्तर प्रदेश पुलिस की लगातार छापेमारी के चलते ये दोनों बार-बार अपने स्थान को बदल रहे थे। पकड़े गए दोनों आरोपितों की निशानदेही पर बाद में साजिश में शामिल अन्य लोग भी पकड़े गए। हत्यारोपितों में पहला शेख अशफाक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव था। अशफाक गुजरात के सूरत में लिंबायत स्थित ग्रीन व्यू अपार्टमेंट पद्मावती सोसाइटी का निवासी था। दूसरा आरोपित पठान मोइनुद्दीन फूड डिलीवरी का काम करता था। मोइनुद्दीन सूरत के ही उमरवाड़ा में एक कॉलोनी का रहने था। अशफाक पर ही कमलेश तिवारी का गला रेतने का आरोप है। हमले के दौरान उसके हाथ में अपने ही चाकू से घाव हो गया था। पकड़े गए आरोपितों ने बताया कि वो कमलेश तिवारी के वर्ष 2015 के दिए गए बयान से नाराज थे।
इस हत्याकांड में बरेली दरगाह आला हजरत के मुफ्ती कैफी से भी पूछताछ हुई थी। मुफ़्ती पर इन दोनों हत्यारोपितों की मदद के आरोप लगे थे। हालाँकि मुफ़्ती ने खुद पर लगे आरोपों से इनकार किया था। इस हत्याकांड की जाँच लखनऊ पुलिस, एसआईटी और यूपी एटीएस ने सामूहिक रूप से किया था। हत्या को अंजाम देने के लिए फर्जी फेसबुक प्रोफ़ाइल का सहारा लिया गया था। अशफाक ने रोहित सोलंकी के नाम से फर्जी फेसबुक प्रोफ़ाइल बनाई थी। काफी दिन तक उसने हिन्दू बन कर कमलेश तिवारी से फेसबुक पर चैट किया था। पूरी तरह से विश्वास में लेने के बाद आखिरकार कमलेश तिवारी ने उसे मिलने के लिए बुलाया था। हत्या से पूर्व दोनों लखनऊ स्थित एक होटल में रुके थे जिसकी सीसीटीवी फुटेज भी वायरल हुई थी।
हत्या के बाद दोनों ने होटल छोड़ दिया था और लगातार जगह बदलते रहे। पुलिस को गुमराह करने के लिए दोनों ने अपने मोबाइल एक अलग दिशा में जा रही गाड़ी में रख दिए थे । काफी समय तक पुलिस उसी मोबाइल को ही आरोपितों की असली लोकेशन समझ कर पीछा करती रही थी। हत्या से पूर्व सूरत में मिठाई की दूकान से खरीदारी करते दोनों आरोपित सीसीटीवी में नजर आए थे। इसी मिठाई के डिब्बे में दोनों ने हथियार छिपाए थे। यह सीसीटीवी पुलिस को कत्ल की कड़ियाँ जोड़ने में काफी मददगार साबित हुई थी।
अवध न्यूज़ ने आज जब कमलेश तिवारी के बेटे सत्यम तिवारी से बात की तो उन्होंने बताया कि कुल 13 आरोपितों में से 5 की जमानत हो चुकी है। फिलहाल 8 आरोपित जेल में हैं। किरन तिवारी ने ये भी बताया कि आरोपितों ने मुकदमे को लखनऊ से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर करवा दिया है। लखनऊ से प्रयागराज की दूरी लगभग 200 किलोमीटर है। उन्होंने बताया कि हर तारीख पर आने-जाने के दौरान उनकी जान को खतरा बना रहता है। साथ ही इतनी दूर भागदौड़ में उनका अतिरिक्त पैसा भी खर्च हो रहा है।