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शर्मनाक : थाने में कवरेज के दौरान पत्रकार की पिटाई , हिरासत में रखे गए लोगों संग बैठाया

 


उत्तर प्रदेश पुलिस में कुछ ऐसे वर्दी वाले दागदार मौजूद है जो विभाग की किरकिरी कराने के साथ साथ पुलिस महकमे को बदनाम भी कराते हैं। कहते है कि "एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है" कुछ ऐसा ही हो रहा है उत्तर प्रदेश में पुलिस प्रशासन के साथ एक तरफ अधिकांश पुलिस वाले मेहनत से अपना काम कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कुछ पुलिस वालों की करतूतों से पूरा पुलिस प्रशासन सवालों के कटघरे में खड़ा है। उत्तर प्रदेश की पुलिस की शर्मनाक करतूत सामने आई है। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले की महमूदाबाद कोतवाली में 21-22 दिसम्बर की रात करीब 11 बजे मारपीट के विवाद की जानकारी पाकर एक हिंदी दैनिक समचार पत्र का संवाददाता कवरेज के लिए चला जाता है अब उसे कहां मालूम था कि हर रात की तरह आज रात को भी थाने में तैनात दरोगा झरिया सिंह और उनके साथी हेमराज , गौतम और अनूप नशे में ऐसा डूबे होंगे कि न तो उन्हें अपने ओहदे की याद होगी और न ही पुलिस विभाग की। महमूदाबाद कोतवाली परिसर में कवरेज करने गए महमूदाबाद कस्बा निवासी पत्रकार सूरज गुप्ता को वहां मौजूद दरोगा झरिया सिंह ने वीडियो बनाने से रोकने के लिए उसका मोबाईल अपने साथियों संग छीनने का प्रयास किया और जब सूरज ने इसका विरोध किया तो पहले कई बार जनपद में ही लाइन हाजिर हो चुके दरोगा झरिया सिंह उसे मारने लगे । दरोगा झरिया सिंह का मन इतने से नही भरा उन्होंने अपने साथी गौतम , हेमराज औए अनूप को बुला लिया जिसके बाद पत्रकार को कोतवाली परिसर में बुरी तरह पीटने लगे। 



अपने किसी निजी कार्य से कोतवाली आये बीजेपी नेता ने जब यह घटनाक्रम देखा तो उन्होंने इसकी सूचना एक पत्रकार साथी को दी जिसके बाद आनन फानन में कस्बे के पत्रकार कोतवाली पहुंचे जहां पत्रकार साथी को हिरासत में लिए गए लोगों के साथ रखा गया था। जब देर रात कोतवाली पहुंचे पत्रकार साथियों ने इसका विरोध किया और प्रभारी निरीक्षक को मामले की जानकारी दी , जिसके बाद पत्रकार  को छोड़ा गया। वहीं पत्रकार सूरज को घायल अवस्था मे इलाज के लिए सीएचसी ले जाया गया जहां इलाज के बाद डॉक्टरों ने उसे घर भेज दिया।

पत्रकार सूरज गुप्ता की मानें तो दरोगा झरिया सिंह ने उसके परिचय देने के बाद उससे कहा कि मेरा मीडिया से 36 का आंकड़ा है और मेरा सामान हर समय पैक रहता है और इतना कहते ही उसको पीटने लगे , पिटाई के दौरान कई बार सूरज जमीन में गिरा लेकिन उनके साथियों ने उसे उठाया और उसके कपड़े फाड़ दिए। इस तरह की घटना के बाद पुलिस विभाग से आम लोगों का भरोसा तो उठ ही रह है। प्रदेश के मुखिया के प्रेस की आजादी पर दिए जाने वाले भाषण भी अब सिर्फ कागजी मालूम पड़ रहे हैं।

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