Report By - Shavez Khan
सीतापुर की बिसवां सीट पर हर बार जनता ने विधायक बदल दिया है। सीतापुर जिले में नौ विधानसभा सीटें हैं। बिसवां विधानसभा सीट की राजनीति सबसे अलग है। इस सीट पर 1980 से 1991 तक कांग्रेस का परचम लहराया लेकिन 1993 के बाद से इस सीट से किसी भी पार्टी को लगातार दोबारा जीत नहीं मिली। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा के महेंद्र सिंह यादव ने जीत हासिल की थी। भाजपा के सामने यहां से लगातार दोबारा जीत चुनौती है।
सीट का इतिहास-
सीतापुर जिले की बिसवां विधानसभा में आजादी के बाद पहला चुनाव सन 1957 में हुआ था। इस चुनाव में कांग्रेस के गनेशी लाल और सुरेश प्रकाश सिंह विधायक बने थे। 1962 में जनसंघ के गया प्रसाद विधायक बनें। वर्ष 1967 में गया प्रसाद मेहरोत्रा दूसरी बार विधायक चुने गए। 1969 कांग्रेस के कृपा दयाल जीते वहीं वर्ष 1974 और 1977 में जनता पार्टी से गया प्रसाद मेहरोत्रा दो बार विधायक बनें। इस सीट पर सियासी समीकरण बदले तो कांग्रेस फिर मजबूत हुई। वर्ष 1980 में राम कुमार भार्गव विधायक बने फिर तीन बार पद्मा सेठ कांग्रेस से लगातार विधायक रहीं। बता दें कि वर्ष 1993 में इस सीट से सपा से पहली बार सुरेंद्र पाल सिंह विधायक बने। वर्ष 1996 के चुनाव में वह दोबारा जीत नहीं सके फिर से भाजपा का इस सीट पर कब्जा हुआ और भाजपा से अजीत कुमार मेहरोत्रा विधायक बनें। इस सीट के फिर राजनीतिक समीकरण बदले और वर्ष 2002 में सपा के रामपाल यादव विधायक बने फिर वर्ष 2007 में बसपा से निर्मल यादव विधायक बने। इसके बाद वर्ष 2012 में समाजवादी पार्टी से फिर रामपाल यादव विधायक बने। वर्ष 2017 में भाजपा की जबरदस्त लहर में महेंद्र सिंह यादव ने जीत हासिल विधायक बने।
जातीय समीकरण-
बताया जाता है कि इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है। दूसरे पर ब्राह्मण और तीसरे नंबर पर अन्य जातियों के मतदाता हैं।
-वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव का परिणाम-
-2012 विधानसभा चुनाव का परिणाम-
जीत का अंतर– 7349
-इस सीट पर ये रहे विधायक-