अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण तेजी से हो रहा है। ये भाजपा के लिए उम्मीदों के भवन के समान ही है।
लेकिन जैसे-जैसे इसका निर्माण तेज हो रहा है, आसपास के करीब 15 हजार से अधिक राम मंदिरों के पुजारियों और उनसे जुडे़ एक लाख से अधिक लोगों-दुकानदारों के लिए मुश्किल बढ़ती जा रही है।
ये मंदिर विभिन्न कालखंड में राजाओं से लेकर अवध के नवाबों तक ने बनवाए हैं। अब इन सभी को नई अयोध्या में जगह मिल जाएगी, इस पर लोगों को संशय है। मुख्य राम मंदिर निर्माण से पहले हर कोई अपने राम मंदिर को ही मुख्य बताकर श्रद्धालुओं को दिखाता था। इससे आसपास के दुकानदारों की भी रोजी-रोटी चलती थी। अब उन दुकानदारों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है।
अयोध्या नगर निगम ने 2018 में शहर के पुराने और जर्जर हो चुके 177 भवनों को गिराने या मरम्मत कराने का नोटिस जारी किया था। इनमें 175 मंदिर शामिल थे। स्कंदपुराण में अयोध्या महात्म्य और ब्रिटिश गजेटियर अयोध्या में प्राचीनता रखने वाले मंदिरों की संख्या 6000 बताई गई है। हालांकि यह संख्या अब 15 हजार से ज्यादा है।
यहां अलग-अलग रियासतों और जातियों के मंदिर हैं। हर दूसरा घर ठाकुरबाड़ी है, जिनमें राम-जानकी की पूजा-अर्चना होती है। हर मंदिर में अलग रूप अहाता है... चौगान है। वहां चार लोग रहते भी हैं और राम-जानकी की प्रतिमा स्थापित है। इन परिवारों के चेलों का परिवार साल में मुख्य-मुख्य अवसरों पर भी आते थे, तो इनका खर्च निकल जाता था। जब से नए भव्य मंदिर का निर्माण हुआ। इन मंदिरों में आने वालों की संख्या तेजी से गिरती चली गई।
340 मंदिर तो एक हजार साल से भी ज्यादा हैं पुराने-
करीब 340 राम मंदिर ऐसे हैं जिनमें विराजित मूर्तियां एक हजार साल या उससे भी ज्यादा पुरानी हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक हनुमानी गढ़ी के पास त्रेतानाथ मंदिर का इतिहास एक हजार वर्ष पुराना है। हर माह दो बार आने वाली एकादशी के दिन इस मंदिर का द्वार खुलता है। क्योंकि इसका आधा हिस्सा खंडहर में तब्दील हो चुका है। यहां मंदिर के नाम पर एक कमरा बचा है। हालांकि, सरकार ने इस मंदिर और आसपास के इलाके को हेरिटेज साइट घोषित किए हैं।
इसके बावजूद उस पर मंदिर के संरक्षण को लेकर ध्यान नहीं दिया गया। इस मंदिर से जुड़े पंडित विजय कुमार मिश्रा का कहना है कि इस मंदिर के आसपास के दुकानदारों को दुकान चलाना भी मुश्किल हो गया है। नए और बड़े राम मंदिर से तो अधिकांश बाहरी लोगों को ही रोजगार मिलेगा। जिससे यहां के युवा बेरोजगार होंगे। जनप्रतिनिधियों को तो स्थानीय लोगों से बात करने की फुर्सत ही नहीं होती तो उन्हें सच्चाई कहां से पता चलेगी।
2017 में पांच विधानसभा सीट पर भाजपा के विधायकों को जनता ने चुना। लेकिन, वे विधायक ही लोगों की परेशानियों में शामिल नहीं हुए। इसका नतीजा है कि पांच साल के दौरान योगी को अयोध्या में 46 बार आना पड़ा। 27 फरवरी को चुनाव है। व्यापारी नाराज, ब्राह्मण परेशान, मुस्लिम और यादवों का साथ नहीं। ऐसे में योगी को अपने गढ़ बचाने के लिए 72 घंटे के अंदर 2 बार अयोध्या आना पड़ा।