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सियासी चाल : पश्चिम में सपा की सियासी चाल से बन गया लामबंदी का माहौल



पश्चिमी यूपी में किसानों में बढ़ी नाराजगी को भुनाने के लिए सपा-रालोद ने मुस्लिम-जाट एकजुटता की उम्मीद में हाथ मिला लिया। पर, गठबंधन के टिकट वितरण के फॉर्मूले ने ध्रुवीकरण की पटकथा तैयार कर दी। भाजपा तो जैसे इस मौके की ही तलाश में थी। पश्चिमी यूपी के भाजपा नेताओं ने गठबंधन की रणनीति को अपने लिए उपयोगी बनाने के लिए अली, बाहुबली और बजरंगबली की बात शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सपा पर आपराधिक मानसिकता पर डटे रहने के आरोप लगा रहे हैं। माफियावादी और तमंचावादी जैसे दो नए शब्दों को भी वे सपा पर हमले के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री व भाजपा के दिग्गज नेता अमित शाह ने कैराना में घर-घर जाकर जनसंपर्क शुरू कर दिया है। रही-सही कसर पश्चिम के तीन मुस्लिम चेहरों को आगे किए जाने से पूरी हो गई। सपा ने अपनी पार्टी के मुस्लिम चेहरा रहे पूर्व मंत्री आजम खां व उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को फिर प्रत्याशी बना दिया है। आजम अपने तीखे बयानों को लेकर चर्चा में रहते आए हैं। हालांकि, आजम इस समय जेल में हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि एक-एक सीट की लड़ाई में सपा आजम को जेल से चुनाव लड़वाकर मुस्लिम समाज से सहानुभूति की उम्मीद कर रही है। इमरान मसूद के सपा में आने से भी चढ़ा सियासी पारा सपा ने कांग्रेस नेता व पूर्व विधायक इमरान मसूद को अपने पाले में लाकर पश्चिम के सियासी ताप को बढ़ा दिया है। इमरान फिलहाल टिकट नहीं पाने के बावजूद सपा का साथ देने के लिए आगे आए हैं। इमरान पिछले चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में एक आपत्तिजनक बयान वाले वीडियो से चर्चा में आए थे। मोदी ने इसे मुद्दा बनाकर तब पूरा माहौल ही ध्रुवीकृत कर दिया है। इसी तरह भाजपा कैराना से हिंदुओं के पलायन को मुद्दा बनाती रही है। सपा ने गैंगेस्टर आरोपी व पूर्व विधायक नाहिद हसन को प्रत्याशी बनाने का एलान कर इस मुद्दे को फिर उभार दिया। नाहिद ने नामांकन किया तो वहां के प्रशासन ने उनकी गिरफ्तारी कर ली, जिससे मामला सुर्खियों में छा गया। नाहिद की बहन इकरा हसन ने भी सपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन कर दिया है। भाजपा इस सबको लेकर हिंदू मतों की लामबंदी की कोशिश करती नजर आ रही है। भाजपा ने मुजफ्फरनगर दंगे से सुर्खियों में आए मंत्री सुरेश राणा व संगीत सोम तथा पूर्व मंत्री हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को फिर से टिकट देकर ध्रुवीकरण को धार दे दिया है। सपा-रालोद गठबंधन व बसपा की मुस्लिम केंद्रित रणनीति भी अहम विश्लेषकों का कहना है कि सपा पश्चिम में जाट व मुस्लिमों की लामबंदी में अपनी सफलता खोज रही है। जबकि, बसपा मुस्लिम-दलित गठजोड़ के जरिये सत्ता की चाबी अपने हाथ रखना चाहती है। सपा व रालोद ने मुस्लिमों का समर्थन पाने के लिए पांच वर्ष से चुनाव की तैयारी कर रहे अपने कई जमीनी नेताओं को त्याग करने का पाठ पढ़ा दिया है। यहां तक कि जाटों के प्रभाव वाली कई सीटों पर मुस्लिमों को प्रत्याशी बना दिया है। - बसपा ने 53 उम्मीदवारों की पहली सूची में 14 मुस्लिमों को टिकट दिया था। दूसरी सूची में पहली सूची के सात प्रत्याशियों के टिकट बदले और चार नई सीटों पर एलान किया। जो सात प्रत्याशी बदले गए उनमें पूर्व में घोषित सिर्फ दो मुस्लिम प्रत्याशी शामिल थे। पर, जिन चार नई सीटों के प्रत्याशी घोषित हुए, उनमें तीन पर मुस्लिम उम्मीदवार उतार दिया। इस तरह कुल 57 सीटों में मुस्लिमों की संख्या 16 पहुंचा दी। मायावती ने शनिवार को 51 उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी की। इसमें 23 मुस्लिम उम्मीदवार उतार दिया है। मुस्लिम मतों के लिए सपा-रालोद गठबंधन व बसपा के बीच छिड़ी सियासी जंग में भाजपा राष्ट्रवाद व हिंदुत्व का तड़का लगाकर फायदा उठाने की कोशिश में नजर आ रही है। मुस्लिम वोटों के लिए अन्य दलों में भी तगड़ी होड़ मुस्लिमों को आकर्षित करने की लड़ाई में कांग्रेस भी पीछे नहीं है। कांग्रेस ने अपने नेता इमरान मसूद के सपा के पाले में जाने के बाद इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर को अपने पाले में कर लिया है। मौलाना मुस्लिमों के एक तबके में असरदार चेहरा माने जाते हैं। उन्होंने कांग्रेस के समर्थन का एलान किया है। मौलाना भी अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते आए हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने भी पश्चिम में कई सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं।

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