●ई-रिक्शा आने के बाद पैंडल रिक्शा चालकों के आगे रोजी-रोटी का संकट
●ई-रिक्शा चालक बिना लाइसेंस के सड़कों पर भरते फर्राटा
●पैंडल रिक्शा चालकों का नगर पालिका से बनता था लाइसेंस
●ई-रिक्शा चालकों का कहाँ बनेगा लाइसेंस,इसकी नहीं जानकारी
बदलती तकनीक से जहां रोज नए अविष्कार हो रहे हैं, वही इस तकनीक से इंसानी जीवन भी सुलभ हो रहा है तो कुछ लोगों के रोजगार भी समाप्त हो गए हैं। हम बात कर रहे हैं पैडल रिक्शा की। बचपन में हम सब ने इनकी खूब सवारी की है। पूरा परिवार पैडल रिक्शा पर सवार होकर मेला,बाजार सहित आदि स्थानों पर आता जाता था। लेकिन आज ई-रिक्शा की मौजूदगी ने पैडल रिक्शा का वजूद खत्म सा कर दिया है। ई-रिक्शा के आने से पैंडल रिक्शा चलाने वालों को खासा नुकसान हुआ। किराए पर लेकर पैंडल रिक्शा चलाने वाले कुछ तो आज भी पहिया चलाकर अपनी रोजी-रोटी के बंदोबस्त में लगे। वही अधिकांश मजदूर अपना ई-रिक्शा लेकर जून की रोटी का बंदोबस्त कर रहे है।
Report By -Shavez Khan
तहसील बिसवां क्षेत्र के एक गांव के निवासी रिक्शा चालक पंकज का कहना है कि ई-रिक्शा चलने से हम लोगों की रोजी-रोटी छिन गई है। दिन भर काफी मेहनत करने के बाद रात तक कहीं डेढ़ सौ से दो सौ रुपए बचा मिलता है। पंकज कहते हैं कि अब पैंडल रिक्शा का किराया भी चालीस रुपया लगता है। जबकि पहले इसी रिक्शे का किराया बीस रुपया होता था। वही रिक्शा चालक रईस बताते हैं कि उन्हें रिक्शा चलाते कई वर्ष बीत गए लेकिन सरकार की ओर से हम रिक्शा चालकों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। बता दें कि पहले नगर पालिका से पैंडल रिक्शा चालकों के लाइसेंस बनते थे। लेकिन अब वह भी रद्दी की टोकरी में पहुंच गए है। वैसे तो पैंडल रिक्शा के लाइसेंस नगर पालिकाओं से जारी होते थे लेकिन ई-रिक्शा चालकों के लाइसेंस कहाँ और कैसे बनेंगे या भी चालकों को पता नहीं है। हाल फिलहाल ई-रिक्शा के चलन में आने के बाद पैंडल रिक्शा का वजूद मिटता जा रहा। अधिशासी अधिकारी बिसवां डॉक्टर देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि वर्ष 2019-20 में 25 पैंडल रिक्शा चालकों के लाइसेंस बने थे। इसके बाद से कोई लाइसेंस नहीं जारी हुआ है। ई-रिक्शा चालकों के लाइसेंस के बारे में उन्होंने बताया कि ई-रिक्शा चालकों के लाइसेंस नगरपालिका से नहीं बनेंगे। कहां बनेंगे सवाल के जवाब में उन्होंने कहाकि इस बात की जानकारी नहीं है।