एक तरफ केंद्र व राज्य सरकारें कोरोना काल में मौत का शिकार हुए लोगों की मदद करने के लिए लगातार प्रयासरत है वहीं गन्ना विकास परिषद के अधिकारी कर्मचारी सरकार की मंशा को पलीता लगाने पर तुले हैं। कोरोना के दौरान मौत का शिकार हुए किसानों के गन्ने के सट्टों को वारिसों के नाम हस्तांतरित करने के लिए गन्ना पर्यवेक्षक अवैध तरीके से एक-एक हजार रुपए वसूल रहे हैं। पैसा न देने पर किसानों के कागज हफ्तों रखने के बाद कई खामियां बताकर वापस किए जा रहे हैं। किसानों ने मुख्यमंत्री व जिलाधिकारी से शिकायतीपत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की है।
कोरोना के दौरान मौत का शिकार हुए किसानों की मदद के लिए शासन-प्रशासन पूरी शिद्दत से जुटा है। जमीनों की वरासत से लेकर अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए शासन स्तर से लगातार मानीटरिंग भी हो रही हैं किंतु गन्ना विकास परिषद के गन्ना पर्यवेक्षक पूरी तरीके से क्षेत्र में लूट मचाए हुए हैं। गन्ना विकास परिषद बिसवां के सर्किल हाजीपुर के कामदार नितीश कुमार को कोरोना के दौरान मौत का शिकार हुए रामचंद्र पुत्र रामविलास व शोभाराम के गन्ने के सट्टों को उनके वारिसों को हस्तांतरित करने के लिए निर्धारित प्रपत्र दिए गए थे। गन्ना पर्यवेक्षक ने सुविधा शुल्क की मांग की तो पांच-पांच सौ रुपए भी दिए गए किंतु दिए जाने वाले पांच सौ रुपए के सुविधा शुल्क को नाकाफी बताते हुए एक-एक हजार रुपए की मांग की गई। इसके अतिरिक्त मृतक हीरालाल के वरासतदारों के नाम भी गन्ने का सट्टा हस्तांतरित होना है। इनके भी सट्टे को अभी तक सुविधा शुल्क के अभाव में हस्तांतरित नहीं किया गया है। पैसा न मिलने पर दोनों मृतक किसानों के वरासतदारों के कागजात गन्ना पर्यवेक्षक द्वारा वापस कर दिए गए। गन्ना सर्किल सरैंया राजा साहब के गन्ना पर्यवेक्षक संजय पाल द्वारा भी भुड़कुडा के दुर्गापुरवा निवासी किसान दिनेश पुत्र रामलाल से गन्ना सट्टा ट्रांसफर कराने के नाम पर एक हजार की वसूली की गई। क्षेत्रभर में गन्ना पर्यवेक्षकों द्वारा गन्ना सट्टा वरासत के नाम पर हजारों रुपए की लूट किसानों की जाती है जिनकी सुनने वाला कोई नहीं है। किसानों ने मुख्यमंत्री व जिलाधिकारी को ट्वीट व लिखित शिकायती पत्र भेजकर कर मामले की शिकायत की है।